साहित्य समाज का दर्पण है अथवा साहित्य और समा
प्रस्तावना-, सरिता सिंधु की व्याकुल बांहो में लीन हो जाने के लिए दौड़ती चली जाती है.रुपहली, चांदनी और सुनहली रश्मियाँ सरिता की अल्हड़ लहरों पर थिरक थिरककर उसे मोहने करना चाहती है.और न […]
प्रस्तावना-, सरिता सिंधु की व्याकुल बांहो में लीन हो जाने के लिए दौड़ती चली जाती है.रुपहली, चांदनी और सुनहली रश्मियाँ सरिता की अल्हड़ लहरों पर थिरक थिरककर उसे मोहने करना चाहती है.और न […]
प्रस्तावना- 21 वी शताब्दी के प्रारंभिक वर्षों में आतंकवाद सभी महाद्वीपों में फैल चुका है.दक्षिण एशिया के देशों में इनकी विभीषिका सर्वाधिक रूप से मौजूद दिखाई पड़ रही है.भारत आतंकवाद से अधिक पीड़ित
प्रस्तावना- जनतंत्र की सफलता के लिए आवश्यक है.कि रूप से भी स्वतंत्र हो, देश में ऐसी आर्थिक व्यवस्था की जाए, बेकारी और भुखमरी का अंत हो जाए तथा प्रत्येक नागरिक स्वस्थ सुखी और
यदा पीठ इस पृथ्वी पर मनुष्य को उत्पन्न हुए लाखों वर्ष बीत चुके हैं किंतु वास्तविक वैज्ञानिक उन्नति पिछले दो- सौ वर्षों में ही हुई है,कुछ लोग कहते हैं कि इस प्रकार की
प्रस्तावना-, विकास और व्यवस्थित जीवन के लिए ही जारी को संतुलित वातावरण की आवश्यकता होती है., संतुलित वातावरण में प्रत्येक घटक एक निश्चित मात्रा में उपस्थित रहता है कभी-कभी वातावरण में एक अथवा
प्रस्तावना- खेलकूद मनुष्य की जन्मजात प्रवृत्ति है.यह प्रवृत्ति बालको युवकों और वृध्दो तक पाई जाती है.जो बालक अपनी बाल्यावस्था में खेलों में भाग नहीं लेता वह बहुत सी बातें सीख सीखने से वंचित
प्रस्तावना भ्रष्टाचार से आशय भ्रष्टाचार शब्द संस्कृत के भ्रष्ट शब्द के साथ आचार् शब्द के योग से निशष्पन्न हुआ है.भ्रष्ट का अर्थ हैअपने स्थान से गिरा हुआ अथवा विचलित और आचार का अर्थ