भारतीय शिक्षा का इतिहास एवं विकास – महत्वपूर्ण प्रश्न 9

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प्राचीन भारतीय शिक्षा के संदर्भ में ‘समावर्तन संस्कार’ का सामान्य परिचय दीजिए।

उत्तर-प्राचीन अथवा वैदिक काल में भारतीय शिक्षक से संबंधित एक विशेष संस्कार को ‘समावर्तन संस्कार, के नाम से जाना जाता था। ‘समावर्तन संस्कार’ का आयोजन युवक की शिक्षा पूर्ण होने के अवसर पर किया जाता था ‘समावर्तन’ संस्कार का शाब्दिक अर्थ क्या है- ‘घर लोटना। प्रचलन के अनुसार 25 वर्ष की भाइयों ने समावर्तन संस्कार होता था। इस संस्कार के संपन्न होने के साथ-साथ शिक्षार्थी शिक्षा पूर्ण करके गुरुकुल से विदा लेकर अपने घर घमंड करता था। इस संस्कार के साथ ही ब्रह्मचर्य आश्रम की अवधि पूर्ण समझाई जाती थी तथा युवक गृहस्थआश्रम मैं प्रवेश करता था। वैदिक काल में तत्कालीन शिक्षार्थी के लिए समावर्तन संस्कार का विशेष महत्व था । सामान्य रूप से दोपहर के समय समावर्तन संस्कार का आयोजन किया जाता था। इस अवसर पर शिक्षार्थी द्वारा स्नान करके नए तथा उत्तम वस्त्र धारण किए जाते थे। भली-भांति तैयार होकर शिक्षार्थी गुरु के सम्मुख उपस्थित होता था ।इस अवसर पर गुरुद्वारा शिक्षा को मधुपर्क दिया जाता था। इसके उपरांत सामान्य तथा सार्वजनिक रूप से गुरुद्वारा शिक्षा को समावर्तन उपदेश दिया जाता था। वैदिक शिक्षा -प्रणाली के अंतर्गत किए जाने वाले ‘समावर्तन उपदेश’ का सार और इस पर कार्य करता था,”हे शिष्य! सर्वदा सत्य बोलना, अपने कर्तव्य का पालन। करना स्वाध्याय मैं फरमान मत करना। जो अच्छे कार्य हमने किया है तुम उनका अनुकरण करना श्रद्धा से दान देना।तुम्हें हमारा यही आदेश है ,यही उपदेश है।”

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